Saturday, November 23, 2013

सचिन तेंदुलकर या ब्रायन लारा -2


सचिन महलों में जलते हुए दीप थे तो लारा आंधियों के बीच जला चिराग। सचिन अनुकूल परिस्थितियों के शहंशाह थे तो लारा जटिलताओं से भरी विपरीत परिस्थितयों के योध्दा। दोनों महान खिलाडिय़ों में सर्वश्रेष्ठता के बारे में विचार करते हुए हमें दोनों की पृष्ठभूमि पर भी विचार करना होगा। 


लारा ने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो महाशक्तिशाली वेस्टइंडीज का मजबूत किला ध्वस्त हो चुका था। महान खिलाड़ी विदा ले चुके थे । कभी जीतने का रिकार्ड बनानेवाली वेस्टइंडीज टीम हारने का रिकार्ड बनाने लगी थी। कई द्वीपों के खिलाडिय़ों को मिलाकर बनने वाली इस टीम में खिलाडिय़ों में मतभेद उभर कर सामने आने लगे थे। वेस्ट इडीज क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बेहद गरीब बोर्ड है जहां पर खेले जानेवाली सीरिज विदेशी  कम्पनियां प्रायोजित करती हैं। जबकि भारत में क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड है, क्रिकेटरों पर मूसलाधार धन बरसता है। इसे क्रिकेटरों का स्वर्ग कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। यहां सबसे ज्यादा स्टेडियम और करोड़ों क्रिकेटप्रेमी हैं। सबसे ज्यादा क्रिकेट मैच यहां खेले जाते हैं। यहां क्रिकेटर बन जाने का मतलब ही है शोहरत और दौलत के शिखर पर पहुंच जाना। यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा बाजार भी है। जहां पेप्सी, कोकाकोला सहित विभिन्न अनावश्यक उत्पादों को बेचने के लिए कम्पनियां क्रिकेटरों, फिल्म स्टारों को करोड़ों रुपए देती हैं। जबकि वेस्टइंडीज में क्रिकेटरों की हालत दयनीय है। 

वेस्टइंडीज में क्रिकेटरों को बेहतर पैसा देने की मांग को लेकर ब्रायन लारा ने बोर्ड के समझ कुछ मांगे रखी थी जिस पर वेस्ट इंडीज क्रिकेट बोर्ड ने लारा सहित सभी खिलाडिय़ों को टीम से निकाल दिया था। वहां क्रिकेटर सिर्फ खिलाड़ी होता है यहां क्रिकेटर को लोग भगवान बना देते हैं। लारा को टीम का कप्तान बनाया गया था तो टीम के खिलाडिय़ों ने भी इसका विरोध किया था यहां यदि सचिन 138 गेंदों पर शतक बनाते हैं और भारत की हार का कारण बन जाते हैं तो भी कोई विरोध नहीं होता। 

लारा एक बेहद कमजोर टीम से खेले। अक्सर जब वे बल्लेबाजी करने उतरते तो वेस्टइंडीज टीम बेहद कम स्कोर पर दो विकेट गंवाकर संकट में होती। विपक्षी टीम जानती थी यदि लारा को आउट कर लिया तो टीम धराशायी हो जाएगी। ऐसा कई बार हुआ कि लारा के दोहरा शतक या शतक के बावजूद वेस्टइंडीज टेस्ट मैचों में बुरी तरह से हारी। बाकी सारे खिलाड़ी मिलकर भी लारा जितना रन नहीं बना पाते थे। लारा एक ऐसी टीम को जीत का स्वाद चखाते थे जो जीतने के काबिल नहीं थी। सचिन एक ऐसी टीम के साथ खेलते थे जिसका हारना मुश्किल था, जिसमें कई धुरंधर बल्लेबाज थे। सचिन मोहम्मद अजहरुद्दीन, गौतम गम्भीर, वीरेन्द्र सहवाग, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण,सौरव गांगुली जैसे कई महान क्रिकेटरों के साथ खेले।
टेस्ट मैचों की बात करें तो सचिन, द्रविड़ या लक्ष्मण से बेहतर बल्लेबाज नहीं थे। वन डे मैचों में भी वे विराट कोहली से बेहतर बल्लेबाज नहीं थे।
(चित्र espncricinfo से साभार )

8 comments:

  1. Kya baat hi aap to Sachin ke piche hi pad gaye hi
    . Ab to Sachin ne sanyaas le liya hi
    aur ab aap bhi ab Sachin ki burai karna band ker dijeye

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  2. Aap BCCI ki baat kee rahe hi too
    aapko malum he hoga ki BCCI pahle sabse garib bord tha

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  3. बात करें तो बहुत से ऐसे महान खिलाड़ी न सिर्फ देश बल्कि सब जगह मिल जाते हैं ... पर शायद सचिन खेल के साथ क्लिस्मत के भी धनी रहे हैं ...

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    1. Digamber ji aap thik kah rahe hi aise mahan khiladi her jagah milte hi aur poore duniya me hi bhi
      per unko mahan kahne vala koi nahi hi

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    2. Aap log Sachin ko kismat ka dhani kyo kahte hi
      . Kya bagair bat chalye hi ye sab rano ka record bana diya ya dusre batsman ka run uske ran me jod diya gaya hi

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  4. स्पष्ट विचार .... मेहनत के साथ साथ भाग्य और परिस्थितियां कई लोगों का खूब साथ देती हैं ....

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  5. बहुत ही सधी तुलना, गहराई से और व्यवस्थित।

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  6. EK dam SAHI hai
    Lara EK Mahan khiladi hai

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