Thursday, November 29, 2012

भीतर मैं-बाहर चाँद

भीतर मैं
आय-व्यय, पाने -खोने की चिंता के साथ
महानगरीय आपाधापी और तनावों से घिरा
करवट बदल रहा था
बाहर चाँद
पूर्णिमा की ज्योत्स्ना बिखराए
मुस्कुराता हुआ छत पे टहल रहा था .


(चित्र  photobucket.com से साभार।)