Sunday, November 3, 2013

दीप जलते रहें

दीप जलते रहें
 

धूप हो, छांव हो
शहर हो, गांव हो
शांति, सौहार्द के फूल खिलते रहें।

वक्त कैसा भी हो, आस टूटे नहीं
हौसलों का कभी साथ छूटे नहीं
राह कैसी भी हो
चाह ऐसी ही हो
बिन थके पांव आगे ही बढ़ते रहें।

मन से लेकर गगन तक अंधेरा न हो
कोई दूरी न हो, तेरा-मेरा न हो
सुबह खिलती रहे
शाम सजती रहे
सुकून के सुरमयी साज बजते रहें।

7 comments:

  1. सार्थक सन्देश देती अच्छी रचना ... अंधेरा मिटे हर जगह रौशनी का वास हो ...
    दीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...

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  2. सुंदर भाव , हम भी यही आशा करते हैं ....शुभकामनायें आपको भी

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  3. सार्थक सुंदर प्रस्तुति !
    दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाए...!
    ===========================
    RECENT POST -: दीप जलायें .

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  4. सार्थक सन्देश देती प्रस्तुति, ..बहुत बहुत आभार !

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  5. हौसलों का कभी साथ छूटे नहीं
    राह कैसी भी हो.......बढ़िया सन्देश

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