Friday, January 10, 2014

सैफई, विकास और सुख की तलाश

कहते हैं, सुख  मनुष्य की शाश्वत खोज है। सुख की खोज ही मनुष्य के विकास का आधार बनी। सुख की खोज में ही उसने मंदिरों का निर्माण किया, संगीत सीखा, गिरि-कंदराओं में ध्यान लगाया, दुनिया जहान की सैर की। बम वर्षक विमानों से लेकर वियाग्रा तक मनुष्य ने जो कुछ बनाया, उसका कारण यही था कि वह निरंतर सुख की तलाश में था। विशेषकर, हमारे देश में सुख की तलाश सदियों से तीव्र गति से हो रही है। यह तलाश रुक गई होती तो दुनियाभर के क्रिकेटरों से लेकर सन्नी लियोन जैसी अभिनेत्रियों तक को रोजगार की तलाश में यहां आने की जरूरत नहीं पड़ती और हम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहते।

हमारे देश के विधायक
सुख की तलाश में विदेश गए तो कुछ लोगों के पेट में पता नहीं क्यों, मरोड़ उठ रही है। यह घोर ईष्र्या है। दूसरों की खुशी से पैदा हुई जलन है। आप भी जाइए, किसने रोका है। आदमी अपनी औकात के हिसाब सुख खोजता है। आम लोग देश में ही सुख खोजने के लिए विवश हैं। विधायकों को भी देश में ही सुख खोजना पड़े तो विधायक बनना ही व्यर्थ है। करोड़ों के खर्च के बाद तो आदमी, आदमी से विधायक बनता है। और फिर अब देश में सुख का माहौल ही नहीं रह गया है। बेचारे झांसाराम को लोगों ने गिरफ्तार करवा दिया। कहा जाता है कि कुटिया बना रखी थी जहां खुद भी खुशी  पा रहे थे और दूसरों को भी दिला रहे थे, लेकिन देश की पुलिस को क्या कहें, डंडा लेकर पीछे पड़ गई। गोवा में सपा के एक विधायक के साथ भी यही अपमानजनक व्यवहार हुआ। कुल मिलाकर तीन युवतियों के साथ पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। यह घोर सुख विरोधी माहौल है। आप ही बताइए, सत्ता पाकर भी यदि आदमी सुख नहीं भोगेगा तो सत्ता पाने का फायदा क्या हुआ।

यही वजह है कि अब देश में
सुख खोजने से विधायकों का मोहभंग हो चुका है। वे यहां रिस्क नहीं ले रहे हैं और विदेशों का रुख कर रहे हैं। वैसे भी बताया जाता है कि वहां ज्यादा बेहतर इंतजाम हैं। इतने तरह के मसाज आदि होते हैं कि आदमी को पैदा होने पर गर्व होने लगता है। अपने यहां हजार तरह की झंझट है। कर्नाटक में पहले विधायकों ने विधानसभा सत्र के दौरान मोबाइल पर सुख खोजने की कोशिश की थी, लेकिन कहा जाता है सुख तो ठीक से मिला  नहीं, उलटे लोगों ने हंगामा कर दिया। इसलिए इस बार विधायकों को मजबूर होकर विदेश का रुख करना पड़ा।सुख की ही तलाश में उत्तर प्रदेश के विधायक इन दिनों विदेश में हैं। यहाँ करोड़ों खर्च करके प्रदेश के विकास के लिए दो तरफा इंतजाम किए गए। या तो विदेश जाओ या सैफई। जो जवान हैं, ज्यादा शौकीन हैं और जिन्हें दौर पर दौर की जरूरत पड़ती है,वे दौरे पर हैं बाकी जो उम्रदराज हैं, उनके लिए सैफई महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें माधुरी दीक्षित से लेकर नवोदित तारिकाओं ने ऐसे लटके-झटके दिखाए कि लोगों को सर्दी में गर्मी का एहसास हो गया। गर्मी भी ऐसी पैदा हुई कि बताया जाता है कि मुख्यमंत्री अब खुद माधुरी के साथ पिक्चर देखने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। यहीं नहीं, उन्होंने माधुरी की फिल्म को करोड़ों की छूट भी दे दी। जो खुश होता है वही दूसरों को खुशी दे सकता है। मुख्यमंत्री खुश हैं और चाहते हैं कि माधुरी भी खुश हो जाए। मुख्यमंत्री से लेकर, मुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री बनाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री तक, छोटे-मोटे नेता से लेकर आला अफसर तक सभी ने भरपूर लुत्फ उठाया और मन ही मन जनता जनार्दन को धन्यवाद दिया जिन्होंने वोट देकर यह सुनहरा अवसर दिया।

सुख की खोज को सकारात्मक नजरिये से देखे जाने की जरूरत है।यह खोज वस्तुत: विकास के नए दरवाजे खोलेगी। आखिर जब मंत्री, विधायक खुद खुश नहीं होंगे तो दूसरों की खुशी के बारे में कैसे सोचेंगे। हताश, निराश और कुंठित लोग दूसरों का भला नहीं सोच सकते। वैसे भी यह कोई आम आदमी नहीं, नेता लोग हैं जिनके ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोडऩे के बजाय नेता लोग विदेशों की ओर मुंह कर रहे हैं तो इसमें बुरा क्या है।
 

 कुछ विघ्न संतोषी लोग मुजफ्फरनगर जैसी बेमजा घटनाओं का जिक्र करके रंग में भंग डालने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन सरकार जानती है कि इस देश में जहां लगभग डेढ़ अरब लोग जिंदा हैं वहां 25- 50 लोगों की मौत कौन याद रखेगा। इससे भी ज्यादा भरोसा उसे इस जाति और उस मजहब के लोगों से है जो बरसों से उनके लिए सुख खोजने का पुख्ता इंतजाम करते रहे हैं। 

जहां तक उत्तर प्रदेश का सवाल है, वह निरंतर विकास कर रहा है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस के बाद यदि कहीं कोई नेताजी पैदा हुए तो सिर्फ उत्तर प्रदेश में। अब आनंद के इस दौरे के बाद निश्चित ही विकास की गति तेज होगी। विदेश के दौरे से लौटने के बाद नेता देश को निराश नहीं करेंगे। खबरों पर नजर रखिए। जल्दी ही विकास की कुछ घटनाएं सुर्खियों में होंगी।

Wednesday, January 1, 2014

नया साल मंगलमय हो

नया साल मंगलमय हो
तन हो स्वस्थ, मन प्रसन्न हो।
घर में भरा धान हो, धन हो।

गूंजे गीत सदा खुशियों के
गीतों में नव सुर, नव लय हो।
नया साल मंगलमय हो।

मेहनत, हंसी, उमंग और आशा।
यही हो जीवन की परिभाषा।
दुर्गम राहों से न डरें हम
मुश्किलों पर सदा विजय हो।
नया साल मंगलमय हो।