Wednesday, October 17, 2012

किताबें बुलाती हैं

किताबें बुलाती हैं
 

मां की तरह
गोद में बिठाकर
पालती हैं, पोषती हैं
जीना सिखाती हैं.

किताबें चल देती हैं साथ
दोस्त की तरह
बोलती है, बतियाती हैं .
किताबें पिता की तरह
उंगली पकड़कर
राह दिखाती  हैं.

किताबें हमें जोड़ देती हैं
अतीत से भविष्य तक
असम्भव से अवश्य तक.

किताबें जेहन में घुल जाती हैं
करती हैं दिलो दिमाग को रोशन
किताबें हमें सजाती हैं.
 

किताबें मनुष्य और जिंदगी के बीच सेतु हैं
विवेक, विकास और उल्लास की हेतु हैं.








(चित्र- The Hindu से साभार )