Wednesday, October 23, 2013

देश सोना खोज रहा है

अजीब लोग हैं,  उन्नाव में सोने के लिए खोदाई हो रही है तो परेशान हैं और जब खोदाई नहीं हो रही थी, तब भी चिंता में घुले जा रहे थे। पहले कह रहे थे कि सरकार हजारों टन सोने की तरफ ध्यान ही नहीं दे रही है और अब कहते हैं यह महज अंधविश्वास को बढ़ावा देना है।
सोने के भंडार की खबर क्या चली, कोयला घोटाला, आसाराम सब पीछे छूट गए। लोगों की दिलचस्पी अगर किसी चीज में है तो सिर्फ सोने में। क्या सोना मिलेगा, यही प्रश्न अखबार के संपादक से लेकर सब्जी के दुकानदार तक के भेजे में घुसा पड़ा है। ज्यादातर लोग इस प्रश्न का सीधा जवाब देने के बजाय बीच के रास्ते पर चल रहे हैं। वे कहते हैं, ईश्वर चाहें तो कुछ भी संभव है। यानी की सोने का मिलना भी और ना मिलना भी।
सोना दिलोदिमाग पर छाया हुआ है। लोग टीवी पर सोने को चमकता देखना चाहते हैं और चाहते हैं कि अखबार के पहले पेज पर भरपूर सोना दिखाई दे। सपने में दिखा यह सोना लोगों की जागती आखों में सुनहले सपने सजा रहा है । फिर देश में कई शहरों में ऐसी खबरें आईं कि अमुक व्यक्ति को सपने में अमुक स्थान पर सोना दिखाई दिया। होड़ मच गई। कई लोगों ने तो छुट्टी लेकर भरपूर नींद लेने की कोशिश की, क्या पता उन्हें भी कहीं सोना दिखाई दे जाए।


पूरे देश में जैसे सोने की लहर है। लोग सोने के  बारे में सोच रहे हैं, सोने को लेकर बातें कर रहे हैं और सोने के सपने देख रहे हैं। जय हो सपने देखनेवाले बाबाजी की। उन्होंने देश को कहां से कहां पहुंचा दिया। एक ही झटके में देश ने कितना विकास कर लिया। कल तक जो लोग प्याज देखने के लिए लालायित थे, आज सोना देखने के लिए उत्सुक हैं। कल तक हालात और थे। तमाम कोशिशों के बावजूद सपना था कि रोजी-रोटी, मकान, बिटिया की शादी, पुत्र की नौकरी  से आगे बढऩे के लिए तैयार ही नहीं था। आज वह सोने से कम पर राजी ही नहीं है।

वैसे भी इस देश का सोने से बड़ा गहरा और पुराना रिश्ता है। तभी तो यह सोने की चिडिय़ा कहा जाता था। कई लुटेरों ने तो सोना पाने के लिए ही बार-बार आक्रमण किया और लूटकर चलते बने। मनोज कुमार ने भी वर्षों पहले इस देश की विशेषता बताते समय कहा था कि यहां की धरती सोना उगलती है। अब लोग धरती के पेट में ऊंगली डालकर सोना उगलवाना चाहते हैं तो इसमें आश्चर्य क्या है?
यही सोचते-सोचते मैं बड़ी मुश्किल से सोया और एक भयानक सपना देखकर मेरी आंख खुल गई। मैंने देखा कि सोने की चमक बदलते-बदलते लोभ के काले रंग में बदल गई। हमारा चेहरा बदरंग होता जा रहा था और विवेक कहीं दूर खड़ा हंस रहा था।

6 comments:

  1. आगे आगे देखिये होता है क्या ,,,सोना निकले या ना निकले ,,,,

    RECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.

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  2. विचारणीय बात ..... समझना मुश्किल है कि हम किस और जा रहे हैं ?

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  3. समझ नहीं आता कि क्या इसी देश के लिए डॉ कलाम ने २०२० में' वैज्ञानिक सोच वाला उन्नत देश - भारत -का सपना देखा था ? यह घटना बताती है कि आज भी देश के एक बड़े तबके को मेहनत से परहेज है.

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  4. इतनी खुदाई यदि खेतों की हो जाती तो सोना वैसे ही निकल आता।

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  5. अब लोग धरती के पेट में ऊंगली डालकर सोना उगलवाना चाहते हैं तो इसमें आश्चर्य क्या है?
    यही सोचते-सोचते मैं बड़ी मुश्किल से सोया और एक भयानक सपना देखकर मेरी आंख खुल गई। मैंने देखा कि सोने की चमक बदलते-बदलते लोभ के काले रंग में बदल गई। हमारा चेहरा बदरंग होता जा रहा था और विवेक कहीं दूर खड़ा हंस रहा था।

    badi khoobsurat vyang ke saath janamanas ki soch ujagar ki hai.


    shubhkamnayen

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