जब भी मिलती है मुझे अजनबी लगती क्यूँ है. जिंदगी रोज़ नए रंग बदलती क्यूँ है. -शहरयार.
इसको थोड़ा और बढ़ाइएhttp://veenakesur.blogspot.com/
Kaash!Aisa sabhike jeevan me ho jaye! Kitni sundar kalpana hai!
सुंदर प्रयास|आपके अन्दर कवित्व के अंकुर विद्यमान हैं|ये फूलें-फलें| शुभकामनायें | - अरुण मिश्र.
कवित्व के जो अंकुर आप में हैं वे फलें-फूलें|नवरात्रि की शुभकामनायें| - अरुण मिश्र.
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