जब भी मिलती है मुझे अजनबी लगती क्यूँ है. जिंदगी रोज़ नए रंग बदलती क्यूँ है. -शहरयार.
बिलकुल सही कतील साहब !
वाह!इसे साझा करने के लिए आभार!
बिलकुल सही कतील साहब !
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteइसे साझा करने के लिए आभार!