Tuesday, February 4, 2014

ज्यों भैंसों के दिन फिरे

पुरानी कहावत है कि साल में एक बार घूरे के दिन भी फिरते हैं। उत्तर प्रदेश में इन दिनों भैंसों के दिन फिरे हुए हैं। चर्चा में हैं। तस्वीरें छप रही हैं, वीडियो दिखाए जा रहे हैं। भला हो मंत्री आजम खान साहब का, उन्होंने भैंसों को खबरों में ला दिया है। वैसे खबरों में वे स्वयं रहते हैं लेकिन इस बार उन्होंने भैंसों को आगे कर दिया है। आम तौर पर भैंस की  उपेक्षा ही होती है। लोग दूध उसी का लेते हैं लेकिन गाय के दूध को बेहतर बताते हैं। कम दूध देने के बावजूद लोग गाय को मां कहते हैं जबकि ज्यादा दूध देने के बावजूद भैंस उपेक्षित है, शोषित है। भैंस को बदशक्ल और बेवकूफ का पर्याय बना दिया गया है। यही नहीं, 'अक्ल बड़ी या भैंसÓ कहकर भैंस का मजाक भी उड़ाया जाता है। भैंसों के साथ भेदभाव का आलम यह है कि उनका पानी में जाना भी किसी को अच्छा नहीं लगता। काम बिगडऩे पर 'गई भैंस पानी मेंÓ जैसे मुहावरे इस्तेमाल किए जाते हैं।
 

बहरहाल, कल तक घोर उपेक्षा की शिकार भैंसों को उत्तर प्रदेश में पूरा सम्मान मिला और वह भी सार्वजनिक रूप से। यही नहीं, इन भैंसों की वजह से यूपीपी को भी अपना खोया गौरव हासिल करने का मौका मिला। पुलिस ने जिस तत्पररता व कर्तव्यपरायणता के साथ भैंसों को ढूढ़ निकाला उसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। भैंसों को ढूढऩा आसान नहीं होता। क्योंकि सारी भैंसे एक जैसी होती हैं। ऐसे में मंत्रीजी की भैंस कौन सी है, यह पहचान कर पाना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर रही होगी लेकिन साहब यह उत्तर प्रदेश की पुलिस है, हिम्मत नहीं हारी और भैंस को ढूढ़ निकाला। बताते हैं कि एसपी रैंक तक के अधिकारियों ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और यह साबित कर दिया कि कानून के हाथ लम्बे होते हैं। भैंसों के गायब होने से नाराज मंत्रीजी ने कुछ पुलिस वालों को लाइन हाजिर कर दिया। अब भैंसों के मिल जाने से जरूर उन्हें खुशी हुई होगी। अभियान दल के पुलिसकर्मियों को अगले साल पुलिस पदक मिल जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। 
 

जो भी हो, इस घटना से भैंसों का सम्मान जरूर बढ़ गया। उत्तर प्रदेश में जो समाजवाद आया है, उसका लाभ भैंसों तक पहुंच गया है। भैंसें गदगद हैं। इस वक्त अगर भैंसों से पूछा जाए तो उनकी दिली तमन्ना यही होगी कि केन्द्र में अगली सरकार सपा की बने। देखना है,सरकार अपनी इस अनूठी उपलब्धि को मतों में बदल पाती है या नहीं। जैसे भैंसों के दिन फिरे, भगवान करें ऐसे ही सबके दिन फिरें।

11 comments:

  1. भैंसवाद है यहाँ!

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  2. काला अक्षर भी कहीं खो गया है।

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  3. अफ़सोस कि प्रशासन इतना मुस्तैद किसी इंसान के गुम जाने पर नहीं होता ..... बिचारी भैंस :)

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  4. भगवान करें ऐसे ही सबके दिन फिरें।
    बसंत पंचमी कि हार्दिक शुभकामनाएँ...
    RECENT POST-: बसंत ने अभी रूप संवारा नहीं है

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  5. तर्क हो मुहावरे हो हम स्वार्थी मनुष्य अपने अनुसार उनका उपयोग करते है,
    खास कर नेताओं का कोई भरोसा नहीं कब किसका उपयोग करे,कभी भैंस के बहाने कभी प्याज के बहाने लाईमलाईट में रहना उनकी फितरत है, अस्तित्व में न कोई छोटा है न बड़ा है सबमे एक ही परमात्मा की ऊर्जा काम कर रही है ! जिसने कहा होगा "अक्ल बड़ी या भैंस" अगर भैंस तर्क करना जानती तो कहती "जरा अपनी अक्ल में मुझे बिठा कर तो देखना पता चलेगा कौन बड़ा है " क्या करे बेचारी बोल नहीं सकती :) "गयी भैंस पानी में " यह एक सार्थक मुहावरा है भैंसों को पानी में नहाना बहुत प्रिय है जब भी वह पानी में बैठ जाती है घंटों बैठ जाती है उसको बाहर लाना बड़ा मुश्किल काम है मैंने गाँव में देखा है इसीकारण यह मुहावरा बना होगा !
    सुबह सुबह आपकी इस भैंसों पर पोस्ट मजा आ गया !

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  6. तर्क हो मुहावरे हो हम स्वार्थी मनुष्य अपने अनुसार उनका उपयोग करते है,
    खास कर नेताओं का कोई भरोसा नहीं कब किसका उपयोग करे,कभी भैंस के बहाने कभी प्याज के बहाने लाईमलाईट में रहना उनकी फितरत है, अस्तित्व में न कोई छोटा है न बड़ा है सबमे एक ही परमात्मा की ऊर्जा काम कर रही है ! जिसने कहा होगा "अक्ल बड़ी या भैंस" अगर भैंस तर्क करना जानती तो कहती "जरा अपनी अक्ल में मुझे बिठा कर तो देखना पता चलेगा कौन बड़ा है " क्या करे बेचारी बोल नहीं सकती :) "गयी भैंस पानी में " यह एक सार्थक मुहावरा है भैंसों को पानी में नहाना बहुत प्रिय है जब भी वह पानी में बैठ जाती है घंटों बैठ जाती है उसको बाहर लाना बड़ा मुश्किल काम है मैंने गाँव में देखा है इसीकारण यह मुहावरा बना होगा !
    सुबह सुबह आपकी इस भैंसों पर पोस्ट मजा आ गया !

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  7. Chaliye app sab ko bhi pata chal gaya ki bhais kya hii

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  8. Chaliye app sab ko bhi pata chal gaya ki bhais kya hii

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  9. भैस ना हुई हीरा मोती हो गयी ...अच्छा व्यंग

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  10. वाह... लाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@भजन-जय जय जय हे दुर्गे देवी

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