Tuesday, December 17, 2013

समलैंगिकता पर सहमति यानी पशुवत जीवन का अधिकार

हाल ही सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों के हिमायती लोगों की मांगों को अस्वीकार करके कानून की धारा 377 को बहाल कर दिया। अब देश में एक बहस छिड़ गई है कि समलैंगिकता अपराध है या नहीं। बहस इस बात को लेकर भी है कि समलैंगिकता व्यक्तिगत स्वतंत्रता व मानवीय अधिकार है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व देश के प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे राहुल गांधी ने समलैंगिक संबंधों का समर्थन किया है, जो आश्चर्यजनक नहीं हैं। नैतिकता व मर्यादाओं को तार-तार करने में यह परिवार नेहरू के समय से ही आगे रहा है। उनकी रंगीनमिजाजी और अवैध संबंधों की ढेर सारी कहानियां अतीत के पन्नों पर दर्ज हैं। लेडी माउंटबेटेन  और सरोजनी नायडू की पुत्री पद्मा नायडू से उनके संबंध जग जाहिर रहे। बाद में उनकी पुत्री इंदिरा गांधी ने एक विधर्मी से विवाह किया। राजीव गांधी को भी विदेशी महिला ही भायी।
 

देश में समलैंगिकता को लेकर एक अजीब सा उत्साह देखा जा रहा है। कई गैर सरकारी संगठन हैं जो समलैंगिकों के तथाकथित अधिकारों के लिए सक्रिय हैं। इंनका तर्क है कि समलैंगिकता एक प्राकृतिक जरूरत है, जिसे मान्यता मिलनी चाहिए। वे स्टीव डेविस सहित दुनिया के कई प्रसिध्द समलैंगिकों का हवाला देते हैं और कहते हैं कि इन्हें मानसिक विकृत या बीमार कैसे माना जा सकता है। इनका तर्क यह भी है कि पूरी दुनिया की तरह भारत में भी समलैंगिकों की संख्या बढ़ रही है तो क्यों न इसे भारत में भी कानूनी व सामाजिक मान्यता मिल जाए। मेरा मानना है कि समलैंगिक आकर्षण एक मनोविकार के अलावा कुछ नहीं है और इसका उपचार किया जाना चाहिए। लेकिन यह उपचार तभी संभव होगा, जब समलैंगिक इसे उचित ठहराने के बजाय मानेंगे कि यह गलत है।
 

यह ध्यान रखना होगा कि जिन देशों में समलैंगिक संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं वहां एड्स की महामारी भी तेजी से पांव पसार रही है।
 

चिकित्सकों के अनुसार गुदा मैथुन से मलाशय के नाजुक तंतु क्षतिग्रस्त हो जाते हैं जिससे कई कई गम्भीर बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है- जिनमें  एड्स, सिफलिस, एचआईवी इंफेक्शन आदि शामिल हैं।
 

मैंने एक व्यक्ति के बारे में सुना था, जो पशुओं के साथ सेक्स का प्रयास करता था। कल यदि ऐसे ढेर सारे लोग हो जाएं और वे एकजुट होकर इसे सामान्य जरूरत बताने लगें और सामाजिक मान्यता की मांग करने लगें तो क्या होगा।
 

जहां तक पश्चिम का सवाल है, वहां समलैंगिकता की चपेट में नामी-गिरामी खिलाड़ी ही नहीं, राजनेता, साहित्यकार, प्रशासन में उच्च पदों पर बैठे लोग भी हैं। वहां समलैंगिकता एक फैशन की तरह नहीं पीढ़ी को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। यूरोप के अधिकांश देशों में अब समलैंगिक संबंधों को सामाजिक मान्यता मिल चुकी है। भोग में संतुष्टि की तलाश में लोग एक ऐसी अंधेरी गुफा में उतर चुके हैं , जहां स्त्री  व पुरुष की जननेन्द्रिय  खिलौने के रूप में बेची-खरीदी जा रही है । मनुष्य व पशु के बीच का अंतर मिटाने की होड़ सी चल रही है। कुछ लोग जिनकी संख्या अब लाखों में पहुंच चुकी है, जो पश्चिम की इसी अपसंस्कृति से संस्कारित हुए हैं, चाहते हैं भारत में भी यही सब हो। ऐसे लोग अब अधिकार की बातें करने लगे हैं।
 

ऐसा नहीं कि समलैंगिकता हमारे देश में नहीं थी, समलैंगिकता आदिम युग से है लेकिन किसी भी सभ्य समाज में इसका समर्थन नहीं किया गया, यह सदैव त्याज्य रही।
 

आज देश में समलैंगिकों की संख्या 25 लाख से ऊपर हो चुकी है। कल को ऐसा न हो कि वोट बैंक के चक्कर में कोई पार्टी इनकी संख्या को अल्प मानकर इन्हें बेहतर सुविधाएं देने की घोषणा करने लगे। जिस देश में वोट बैंक के चक्कर में लोग आतंककारियों तक की हिमायत करते नजर आते हैं, वहां ऐसा हो जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
 

यदि हम सभ्य व स्वस्थ समाज के पक्षधर हैं तो समलैंगिकता को बढ़ावा देने की कोशिश का पुरजोर विरोध करना चाहिए। कम से कम भारत जैसे देश में जहां नैतिकता, सदाचार, सुसंस्कार जीवन के आधार हैं, वहां ऐसे सामाजिक अपराधों का कोई स्थान नहीं होना चाहिेए। जो ताकते समलैंगिकता को जीने के अधिकार से जोड़कर देख रही हैं उन्हें सबसे पहले जीना सीखना चाहिए। समलैंगिकता को बढ़ावा देना इस देश की जड़ों को काटने की कोशिश है, इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। समलैंगिकता के आदी हो चुके लोगों पर डंडा बरसाने की नहीं, पूरी करुणा व सहानुभूति के साथ उनके उपचार की जरूरत है।

4 comments:

  1. प्रकृति से सीखें तो पशु भी ऐसा नहीं करते, पशुओं को क्यों कोसें हम।

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  2. पुरानी प्रथा हो शायद पर खुल के सुनने में कुछ समय से ही सामने आई है ... इसको बढ़ावा देना तो बिलकुल ठीक नहीं है ... साथ ही इसको अपराध मानना भी ठीक नहीं ... अपनी अपनी सीमा निर्धारित होनी जरूरी है ...

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  3. सही, सटीक और स्पष्टता से रखे विचार .... पूर्ण सहमति है आपसे ....

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  4. बहुत बढ़िया,एकदम सही बात...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

    नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-तुमसे कोई गिला नहीं है

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