Tuesday, September 10, 2013

दंगे बुरे तो हैं

दंगे 
जिनमें मरनेवालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है
बुरे तो हैं
बहुत बुरे नहीं है।
बहुत बुरा है यह कि 

किसी का भी ध्यान दंगे करानेवालों की तरफ नहीं है
और उससे भी बुरा है कि 

लोग उन्हीं से शांति और समाधान की उम्मीद
कर रहे हैं.

5 comments:

  1. इस बार दंगा बहुत बड़ा था
    खूब हुई थी
    ख़ून की बारिश
    अगले साल अच्छी होगी
    फसल
    मतदान की..

    -- गोरख पांडे जी ने लिखा था ८४ दंगों के आस-पास.....

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  2. किसके सर में रक्त चढ़ा है,
    किसने घर में युद्ध गढ़ा है।

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  3. सच में ...कैसी विडंबना है ....

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  4. sahi bat .....bahut badi trasadi hai ye ,,,,

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