हैरान हूँ, सोच नहीं पा रहा हूँ
ऐसा कैसे हुआ होगा
बेटी को जंजीरों में बांधते समय
क्या कांपे नहीं होंगे पिता के हाथ
और कैसे भरा होगा मुंह में कपडा
ताकि उसकी चीख बाहर न जाने पाए।
अपने ही घर में कैद
हेमावती की चीख
पड़ोसियों तक पहुँचने में
आखिर क्यों लग गए चार साल।
बगल के घर में कोई चार साल से कैद है
और हमें खबर तक नहीं।
ऐसा कैसे हुआ होगा .
बंद कमरे में जीने की आदत
हमें कहाँ ले जा रही है
वहां जहाँ हम चीखेंगे
और हमारी चीख सुननेवाला
कोई न होगा।
(बेंगलुरु के मल्लेश्वरम इलाके में एक लड़की को उसके घर में चार साल तक कैद रखा गया, फ़िलहाल वह अस्पताल में है. )
ऐसा कैसे हुआ होगा
बेटी को जंजीरों में बांधते समय
क्या कांपे नहीं होंगे पिता के हाथ
और कैसे भरा होगा मुंह में कपडा
ताकि उसकी चीख बाहर न जाने पाए।
अपने ही घर में कैद
हेमावती की चीख
पड़ोसियों तक पहुँचने में
आखिर क्यों लग गए चार साल।
बगल के घर में कोई चार साल से कैद है
और हमें खबर तक नहीं।
ऐसा कैसे हुआ होगा .
बंद कमरे में जीने की आदत
हमें कहाँ ले जा रही है
वहां जहाँ हम चीखेंगे
और हमारी चीख सुननेवाला
कोई न होगा।
(बेंगलुरु के मल्लेश्वरम इलाके में एक लड़की को उसके घर में चार साल तक कैद रखा गया, फ़िलहाल वह अस्पताल में है. )
जब जब भी कोई स्वर बाधित होगें,
ReplyDeleteजब जब भी कान चीखों को अनसुना करेंगे,
हमें लज्जा से सर झुकाना पड़ेगा।
संवेदनायें झकझोरती रचना।
अर्थपूर्ण पंक्तियाँ..... मन को उद्वेलित करते भाव
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