दीप जलते रहें
धूप हो, छांव हो
शहर हो, गांव हो
शांति, सौहार्द के फूल खिलते रहें।
वक्त कैसा भी हो, आस टूटे नहीं
हौसलों का कभी साथ छूटे नहीं
राह कैसी भी हो
चाह ऐसी ही हो
बिन थके पांव आगे ही बढ़ते रहें।
मन से लेकर गगन तक अंधेरा न हो
कोई दूरी न हो, तेरा-मेरा न हो
सुबह खिलती रहे
शाम सजती रहे
सुकून के सुरमयी साज बजते रहें।
धूप हो, छांव हो
शहर हो, गांव हो
शांति, सौहार्द के फूल खिलते रहें।
वक्त कैसा भी हो, आस टूटे नहीं
हौसलों का कभी साथ छूटे नहीं
राह कैसी भी हो
चाह ऐसी ही हो
बिन थके पांव आगे ही बढ़ते रहें।
मन से लेकर गगन तक अंधेरा न हो
कोई दूरी न हो, तेरा-मेरा न हो
सुबह खिलती रहे
शाम सजती रहे
सुकून के सुरमयी साज बजते रहें।
सार्थक सन्देश देती अच्छी रचना ... अंधेरा मिटे हर जगह रौशनी का वास हो ...
ReplyDeleteदीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...
सुंदर भाव , हम भी यही आशा करते हैं ....शुभकामनायें आपको भी
ReplyDeleteसार्थक सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteदीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाए...!
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RECENT POST -: दीप जलायें .
happy deepawali .nice blog indeed .
ReplyDeleteसार्थक सन्देश देती प्रस्तुति, ..बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteबढ़िया संदेश।
ReplyDeleteहौसलों का कभी साथ छूटे नहीं
ReplyDeleteराह कैसी भी हो.......बढ़िया सन्देश