लगता है सपा सरकार उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाकर ही दम लेगी। प्रदेश में बलात्कार के मामलों में जिस तरह से वृद्धि हो रही है, उससे तो यही लगता है कि सरकार एक खास वर्ग के लिए प्रदेश को उत्तम बना ही देगी। कुछ समय पहले सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने 'लड़के हैं, गलती हो जाती हैÓ कहकर जो जमीन तैयार की थी, अब उसमें फसल लहलहाने लगी है। सरकार ने सूबे में इतना अनुकूल माहौल बना दिया है कि बलात्कार की घटनाओं की संख्या प्रतिदिन दस तक पहुंच गई है। इस मामले को लेकर प्रदेश के डीजीपी का हालिया बयान गौरतलब है। उन्होंने प्रदेश की जनसंख्या के लिहाज से इसे बेहद कम माना है। ऐसे में संभावना तो यही है कि माननीय मुलायम सिंह जी भी इससे खुश नहीं होंगे।
लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार के विकास कार्यों का समुचित प्रचार नहीं हो पाया। कहीं इस मामले में भी तो ऐसा ही नहीं हैं। सरकार ने जो अनुकूल माहौल बनाया है उसका लाभ लेने के लिए लोग इतनी कम संख्या में क्यों आगे आ रहे हैं। सूबे में बलात्कार के मामलों की संख्या का मुश्किल से दो अंकों में पहुंचना यह साबित करता है कि अभी भी लोगों में झिझक है। लगता है, अभी भी कुछ लोग कानून-व्यवस्था जैसी किसी चीज की मौजूदगी मान रहे हैं। जबकि बलात्कार के मामलों को लेकर सरकार का रवैया बिल्कुल स्पष्ट है। मुख्यमंत्री जी से एक महिला पत्रकार ने जब महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि आप तो सुरक्षित हैं न। मतलब यह कि जब तक एक भी महिला सुरक्षित है, सरकार नहीं मानेगी कि बलात्कार हो रहे हैं।
बलात्कार के मामलों में वृद्धि के लिए सरकार सिर्फ नागरिकों के उत्साह पर ही निर्भर नहीं है। पुलिसकर्मी भी इसमें सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं और भरपूर योगदान कर रहे हैं। बदायूं वाले मामले को ही देखिए, पांच आरोपियों में से दो पुलिसकर्मी हैं। फिर लोगों को किसका और कैसा भय है। इस तरह की घटनाओं से पुलिस की एक अलग पहचान बन रही है। सही भी है, पुलिसकर्मियों को यदि नाम कमाने का मौका मिलेगा तो वे पीछे क्यों रहेंगे। कानपुर में एक दारोगा ने भी कोशिश की लेकिन नागरिकों ने पिटाई करके उसके उत्साह पर पानी फेर दिया।
मालूम हो कि अभी पिछले साल ही सपा के एक विधायक महेन्द्र सिंह को गोवा में रंगरलियां मनाते हुए गिरफ्तार किया गया था। हो सकता है, इसके बाद राज्य सरकार को लगा हो कि प्रदेश में ही बेहतर माहौल बनाया जाना चाहिए। सरकार इसमें कामयाब हो रही है, इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए।
लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार के विकास कार्यों का समुचित प्रचार नहीं हो पाया। कहीं इस मामले में भी तो ऐसा ही नहीं हैं। सरकार ने जो अनुकूल माहौल बनाया है उसका लाभ लेने के लिए लोग इतनी कम संख्या में क्यों आगे आ रहे हैं। सूबे में बलात्कार के मामलों की संख्या का मुश्किल से दो अंकों में पहुंचना यह साबित करता है कि अभी भी लोगों में झिझक है। लगता है, अभी भी कुछ लोग कानून-व्यवस्था जैसी किसी चीज की मौजूदगी मान रहे हैं। जबकि बलात्कार के मामलों को लेकर सरकार का रवैया बिल्कुल स्पष्ट है। मुख्यमंत्री जी से एक महिला पत्रकार ने जब महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि आप तो सुरक्षित हैं न। मतलब यह कि जब तक एक भी महिला सुरक्षित है, सरकार नहीं मानेगी कि बलात्कार हो रहे हैं।
बलात्कार के मामलों में वृद्धि के लिए सरकार सिर्फ नागरिकों के उत्साह पर ही निर्भर नहीं है। पुलिसकर्मी भी इसमें सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं और भरपूर योगदान कर रहे हैं। बदायूं वाले मामले को ही देखिए, पांच आरोपियों में से दो पुलिसकर्मी हैं। फिर लोगों को किसका और कैसा भय है। इस तरह की घटनाओं से पुलिस की एक अलग पहचान बन रही है। सही भी है, पुलिसकर्मियों को यदि नाम कमाने का मौका मिलेगा तो वे पीछे क्यों रहेंगे। कानपुर में एक दारोगा ने भी कोशिश की लेकिन नागरिकों ने पिटाई करके उसके उत्साह पर पानी फेर दिया।
मालूम हो कि अभी पिछले साल ही सपा के एक विधायक महेन्द्र सिंह को गोवा में रंगरलियां मनाते हुए गिरफ्तार किया गया था। हो सकता है, इसके बाद राज्य सरकार को लगा हो कि प्रदेश में ही बेहतर माहौल बनाया जाना चाहिए। सरकार इसमें कामयाब हो रही है, इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए।