दंगे
जिनमें मरनेवालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है
बुरे तो हैं
बहुत बुरे नहीं है।
बहुत बुरा है यह कि
किसी का भी ध्यान दंगे करानेवालों की तरफ नहीं है
और उससे भी बुरा है कि
लोग उन्हीं से शांति और समाधान की उम्मीद
कर रहे हैं.
जिनमें मरनेवालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है
बुरे तो हैं
बहुत बुरे नहीं है।
बहुत बुरा है यह कि
किसी का भी ध्यान दंगे करानेवालों की तरफ नहीं है
और उससे भी बुरा है कि
लोग उन्हीं से शांति और समाधान की उम्मीद
कर रहे हैं.
इस बार दंगा बहुत बड़ा था
ReplyDeleteखूब हुई थी
ख़ून की बारिश
अगले साल अच्छी होगी
फसल
मतदान की..
-- गोरख पांडे जी ने लिखा था ८४ दंगों के आस-पास.....
किसके सर में रक्त चढ़ा है,
ReplyDeleteकिसने घर में युद्ध गढ़ा है।
सच में ...कैसी विडंबना है ....
ReplyDeleteचिंतनीय है ..
ReplyDeletesahi bat .....bahut badi trasadi hai ye ,,,,
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