tag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post8552809896664697878..comments2023-10-03T14:47:44.795+05:30Comments on रंग जिंदगी के: ऋण लेकर 'घी पीने' का नतीजासंतोष पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/06184746764857353641noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-90231315854111296802011-12-19T20:28:00.004+05:302011-12-19T20:28:00.004+05:30विचारणीय और सार्थक आलेख...विचारणीय और सार्थक आलेख...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-25756547373874009702011-12-16T19:13:54.099+05:302011-12-16T19:13:54.099+05:30bahut hi vicharneey aur prabhavi lekh..aabharbahut hi vicharneey aur prabhavi lekh..aabharMonika Jainhttps://www.blogger.com/profile/18206634037142003083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-81851097640677236572011-12-14T00:49:13.582+05:302011-12-14T00:49:13.582+05:30प्रभावपूर्ण लेख!प्रभावपूर्ण लेख!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-68721329197713563562011-12-13T21:13:19.210+05:302011-12-13T21:13:19.210+05:30अनंत इच्छाओं और सपनों को पूरा करने के लिए बिना सोच...अनंत इच्छाओं और सपनों को पूरा करने के लिए बिना सोचे-समझे ऋण का सहारा लेने का ही नतीजा है कि किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति में लोग मौत के दरवाजे पर दस्तक देने लगे हैं। <br /><br />bahut sunder lekh likha hai, sach log ichhaon ki poorti ke liye rin le lete hain aur fir fans jaate hain us chakravyooh mein jo chain chheen leta hai.<br /><br />shubhkamnayen.prritiy----snehhttps://www.blogger.com/profile/15786805769915315081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-3240723353499195362011-12-09T12:39:53.607+05:302011-12-09T12:39:53.607+05:30चैन तो इस या उस वाद के चलते नहीं, वह गया है आदमी क...चैन तो इस या उस वाद के चलते नहीं, वह गया है आदमी के हाही पने से और कम से कम काम करने पर ज्यादा से ज्यादा पाने की चाह से।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-9407633645529583822011-12-09T08:49:32.202+05:302011-12-09T08:49:32.202+05:30"हम सुख व संतोष ऐसी जगह तलाश रहे हैं, जहां वह..."हम सुख व संतोष ऐसी जगह तलाश रहे हैं, जहां वह है ही नहीं।"-<br />----एक दम सत्य कहा सन्तोष जी ....अपने शाश्वत मूल्यों व इतिहास को भुलाकर दिखावे के पीछे भागना ही इस स्थिति का परिणाम है....सुन्दर व सत्य आलेख... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-38299161091761602342011-12-08T17:11:33.553+05:302011-12-08T17:11:33.553+05:30सपनों और हकीकत के बीच जो भी हो रहा है उसे अच्छा तो...सपनों और हकीकत के बीच जो भी हो रहा है उसे अच्छा तो कतई नहीं कहा जा सकता है ..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-76847549770865383092011-12-08T16:58:43.388+05:302011-12-08T16:58:43.388+05:30आज का कटु सत्य दिखा दिया आपने ....आज का कटु सत्य दिखा दिया आपने ....निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-84780756459768937502011-12-08T08:23:32.410+05:302011-12-08T08:23:32.410+05:30अपने शाश्वत जीवन मूल्यों और सुनहरी सीखों से सीख न ...अपने शाश्वत जीवन मूल्यों और सुनहरी सीखों से सीख न लेने का यही परिणाम है -अब भी चेतें लोग ....अच्छा लिखा है आपने !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-34376479529754581922011-12-06T17:43:51.219+05:302011-12-06T17:43:51.219+05:30जितनी रफ़्तार से दिखावा बढ़ता जा रहा है ... उतनी र...जितनी रफ़्तार से दिखावा बढ़ता जा रहा है ... उतनी रफ़्तार से निराशा भी बड रही है ... देखा देखी में अपने से ज्यादा दिखने की चाह खतरनाक मोड ले रही है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-14878178650418709332011-12-04T20:15:24.389+05:302011-12-04T20:15:24.389+05:30.दिखावे और झूठी शान के पीछे भागते समय हमें यह सोचन....दिखावे और झूठी शान के पीछे भागते समय हमें यह सोचना ही होगा कि हम किस दिशा में जा रहे हैं।<br />Bilkul sahee kah rahe hain aap!shamahttps://www.blogger.com/profile/15550777701990954859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-39527736831868917882011-12-04T13:53:18.692+05:302011-12-04T13:53:18.692+05:30संतोष जी,
आपके लेख का सच बहुत ही तीखा है ! वर्तमान...संतोष जी,<br />आपके लेख का सच बहुत ही तीखा है ! वर्तमान जीवन शैली, अतृप्त लालसा और दिखावे की होड़ सारे दुखों के कारण हैं !<br />आपका प्रभावपूर्ण लेख सोचने पर मज़बूर करता है !<br />आभार !ज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-35021110378069648892011-12-04T13:26:36.079+05:302011-12-04T13:26:36.079+05:30पाश्चात्य -भोग- विलास की जीवन जीने की आकांक्षा मनु...पाश्चात्य -भोग- विलास की जीवन जीने की आकांक्षा मनुष्य को यह सब करने पर मजबूर कर रही है ! पांव से ज्यादा पैर पसारने के यही परिणाम होते है ! सुन्दर दृष्टिG.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-10184951011151751142011-12-04T12:30:05.047+05:302011-12-04T12:30:05.047+05:30विकास के साथ ही विनाश आता है....अगर समझदारी से काम...विकास के साथ ही विनाश आता है....अगर समझदारी से काम न लिया तो !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-46405538558953039242011-12-04T08:37:22.775+05:302011-12-04T08:37:22.775+05:30बंगलुरु का यह रंग आँखों में नहीं उतर पा रहा है, यह...बंगलुरु का यह रंग आँखों में नहीं उतर पा रहा है, यह घटना बहुतों को सोचने पर विवश करेगी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15176426010454391.post-75983695648696915172011-12-04T07:09:22.439+05:302011-12-04T07:09:22.439+05:30चादर से ज्यादा पैर पसारने की मानसिकता कई बार ले ही...चादर से ज्यादा पैर पसारने की मानसिकता कई बार ले ही डूबती है ........लोन संस्कृति ने सुविधाएँ जुटाने की आदतें डाल दीं हैं ...... चक्रव्यूह है यह भी एक डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.com