रंग जिंदगी के
जब भी मिलती है मुझे अजनबी लगती क्यूँ है. जिंदगी रोज़ नए रंग बदलती क्यूँ है. -शहरयार.
Saturday, May 30, 2009
कुछ sher
हर लफ्ज़ एक महकता गुलाब है
लहजे के फर्क से इसे तलवार मत बना।
कतील शिफाई.
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